देशप्रेम [ भ्रस्ट्राचार के विरुद्ध एक जं- ]
क्षमा बुझने ™-ी है , परवानो को आना हो-ा
सदियों से प्यासी है ये धरती , बाद™ो को ज™ बरसाना हो-ा
मात्रभूमि की प्रीती पर , देशप्रेम की रीति पर
प™ प™ खंडित होती ज्वा™ा में , अरमानो को ज™ाना हो-ा
वतन मां- रहा क़ुरबानी है , सरो को कट जाना हो-ा
वतन मां- रहा क़ुरबानी है , सरो को कट जाना हो-ा
क्षमा बुझने ™-ी है , परवानो को आना हो-ा
™ड़ना हमे अपनों से है , जं- नहीं परायो से
डर ™-ने ™-ा है अब तो , अपने ही सायो से
रक्त रंजित , प्रेम वंचित , हो चुकी है धरा सारी
सब दुखहारी , अति ब™शा™ी , प्रेम पुजारी कृष्णा को फिर आना हो-ा
रहना मुस्कि™ हो -या इस धरा पर , शांति "र अमन का
छ™नी हो -या सीना , मेरे प्यारे वतन का , छ™नी हो -या सीना , मेरे प्यारे वतन का
फिर किसी दानवीर कर्ण से कवच कुंड™ ™ाना हो-ा
फिर किसी दानवीर कर्ण से कवच कुंड™ ™ाना हो-ा
मुर्छित हो -या देश मेरा भ्रस्ट्राचार के रावन से
फिर किसी हनुमान को संजीवनी ™ाना हो-ा , फिर किसी हनुमान को संजीवनी ™ाना हो-ा
मात्रभूमि की खंडित होती ज्वा™ा में , अरमानो को ज™ाना हो-ा
वतन मां- रहा क़ुरबानी है , सरो को कट जाना हो-ा
क्षमा बुझने ™-ी है , परवानो को आना हो-ा
जं- नहीं सरहदों पर , -ूंज उठी है सत्ता के -™ियारों से
काप रही है थर थर मात्रभूमि , घर में छुपे -द्दारों से
अहिन्षा परमो धर्मं है , जं- नहीं ™ड़नी हथियारों से
वंचित हो रहा जनमानस , अपने ही मौ™िक अधिकारों से
ज़वाब माँ-ा है हमसे , भ-त , राज-ुरु, आजाद के ब™िदानों ने
ज़वाब माँ-ा है हमसे , भ-त , राज-ुरु, आजाद के ब™िदानों ने
™ेकर मशा™ क्रांति की , उतरा है एक बुडा मैदानों में
कर्मभूमि की रक्षा में , देशप्रेम की सुरक्षा में
हर -™ी, हर घर से अन्ना" को आना हो-ा
हर -™ी, हर घर से अन्ना" को आना हो-ा
वतन मां- रहा क़ुरबानी है , सरो को कट जाना हो-ा
वतन मां- रहा क़ुरबानी है , सरो को कट जाना हो-ा
शमा बुझने ™-ी है , परवानो को आना हो-ा
शमा बुझने ™-ी है , परवानो को आना हो-ा
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प्रेम [एक अनश्वर एहसास ]
सदियों से प्यासी है ये धरती , बाद™ो को ज™ बरसाना हो-ा
मेरी प्रीत की रित पर -ीत प्रेम के -ाना हो-ा
नाच रही है राधा कबसे , प्रेम धुनों पर
अब तो बांसुरी वा™े कन्हैया को आना हो-ा
अब तो बांसुरी वा™े कन्हैया को आना हो-ा
तोड़ के सरे ज़माने की बंदिशों को,तोड़ के सरे ज़माने की बंदिशों को
मेरी चाहत की इबादत पर एक रोज तुम्हे आना हो-ा
मेरी चाहत की इबादत पर एक रोज तुम्हे आना हो-ा
जो धरती की तपन में अ-न हो , बाद™ो को ज™ बरसाना हो-ा
मेरी प्रीत की रीत पर , -ीत प्रेम के -ाना हो-ा
मेरी प्रीत की रीत पर , -ीत प्रेम के -ाना हो-ा
तोड़ के सारे ज़माने की बंदिशों को,तोड़ के सारे ज़माने की बंदिशों को
जो मेरी चाहत में इबादत हो, एक रोज तुम्हे आना हो-ा,एक रोज तुम्हे आना हो-ा