बचपन वापिस �™ाना होगा

बचपन वापिस �™ाना होगा

A Poem by Pooja Maheshwari

एक नन्हे से बच्चे को आज मैने देखा,
दि™ मे बचपन की यादें उभर आई।
जब हम बच्चे थे, ना कोई डर था न कोई फिकर,
अपनी ही धुन्न मे रहते, नही था ज़िंद�-ी की कठिनाइयो का ज़िकर


पर वो बच्चा नही है हमारी या तुम्हारी तरह

उसके सिर के ™िये न पिता का हाथ है न मां की �-ोद,
उसको केव™ एक ही सबब मि™ा ज़िंद�-ी मे
कि जीना है अ�-र तो काम करना पडे�-ा तुझे

छोटी सी उमर मे वो ™ो�-ो के झूठे बरतन उठाता है,

फू™ से हाथो से सडकों पर फू™ बेचता है,

किताबे पडने की उमर मे वो रद्दी उठाता है,

पिता के कन्धे पर मे™ा देखने की ज�-ह वो कन्धे पर 10 कि™ो का भार उठाता है,

मां के हाथो से खाना खाने की ज�-ह वो एक वक्त की रोटी के ™िये तरसता है,

खि™ोनो से खे™ने की उमर मे वो खि™ोनो की फैक्टरी मे काम करता है,

�"र रात को परियो की कहनी सुनने की ज�-ह वो अ�-™े दिन फिर भूख से ™डने की राह त™ाश ता है,

कौन है इस बेकसूर की सज़ा का ज़िम्मेदार?
कोई �"र नही, हम ™ो�- ही है इनके कुसुरवार अब हमे ही इन सब को रोकना हो�-ा �"र इन मसूमो के "बचपन" को वापिस ™ाना हो�-ा

© 2016 Pooja Maheshwari


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Added on February 29, 2016
Last Updated on February 29, 2016