कैदीA Poem by Charoo DubeyA prisoner has spent years in prison that he has grown old and found solace in prison itself. This hindi poem describe the status of that old prisoner.एक जोड़ी आँखें ढूढती है एक टुकड़ा आसमाँ जे™ की चारदीवारों से परे यही एक जोड़ी आँखे, जिंद-ी की बाट जोहती बूढी बोझि™ साँसे, पेशानी की झुर्रियां "र चेहरे के स्याह घेरे .... कदम उठते हैं च™ते हैं पर आ-े बढ़ते ही नहीं एक ठहरे पानी से शायद। हथे™ियों की तपिश वही है म-र, जताती है चाह जीने की कही, सिरहाने के कम्ब™ से ™-े कुछ ख्वाब दबे पाँव आते हैं .... सि™वटें पड़े होंठों पर कहीं मुस्कान है शायद। © 2015 Charoo Dubey |
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