![]() कोई और नहीA Poem by Anant yadav![]() Poem is about career affection and ego of doing anything![]() यादों में रहना, सीखना बाकी है, रक्त कि स्याही से इतिहास बनाना बाकी है। यूं फर्ज तो छोटू सा है, तू जो करे-ा उससे बढ़कर कोई "र नही, जो सोचे-ा वही तेरी ड-र हो-ी, हां झुंक जाने का खौफ भी हो-ा, हद में रहकर रोशनी करे, ऐसा पह�™ हो-ा भी, या इससे बड़ा कोई "र नही हो-ा। उपहास तो सबका होता है, तो तेरा भी हो-ा क्यों तू भ-वान तो नही ये सोच कर रुक जाना जुनून को दबा देना, तेरे इस जुनून से बढ़कर कोई "र नहीं।
दावेदार बनने आए थे, उम्मीदवार नहीं, कुछ पाकर जाना था खोकर नही, तेरा कर्म ही स्वप्न का रखवा�™ा ™ा हो-ा, क्यों? क्या? सोचता है , कोई "र नही कंकड़ राह को नही तोड़ सकें-े, तेरा प्रेम से टूटा घाव अभी तक भरा नही अनंत तेरा जिद ही तुझपे हावी हो-ा, इस जिद के आ-े कोई "र नही, सोच मत जिद्दी से बदनाम था, अब आ-े कोई "र नही। BY:- Anant Yadav (anyanant) १२ student Varanasi (CHBS BHU) © 2022 Anant yadavAuthor's Note
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Author![]() Anant yadavVaranasi , Kamachha , IndiaAboutMyself Anant Yadav, 12 student Varanasi Uttar Pradesh India more..Writing
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