इन्सान पैदा हुआ हूँ  इन्सान ही दो मुझे मरना,

इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना,

A Poem by youthforfreedom

मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना,

इन्सान पैदा हुआ हूँ  इन्सान ही दो मुझे मरना,


कभी भू�™ जाऊं किसी दर की स�™ामी,

तोह मुझे काफ़िर बयां मत करना,

�-ुजरते काफि�™ों में �-�™ी की मज�™िसों में मि�™ूं हिन्द के नारे �™ा�-ाता,

तोह रं�- से जोड़ मुझे खुद से जुदा न करना,

मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस इतना ही कर्म करना,


कभी मर जाऊं अ�-र धमाकों मैं,

हो जाये शिनाख्त दुश्वार मेरी,

ना ज�™ाना मुझे ना दफनाना ही ,

सड जाने देना �™ाश मेरी,

बस इतना रहम कर देना बच न पाये हिन्द का दुश्मन कोई,


चाहे कोई पंथ हो कोई मजहब,

हम सब हिन्द के फू�™ हें,

सब इसी धरा के �™ा�™ हें,

तुम रं�- दिखा कर चमड़ी का एकदूजे से जुड़ा तुम मत करना,

मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना,

इन्सान पैदा हुआ हूँ  इन्सान ही दो मुझे मरना,

© 2016 youthforfreedom


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Added on March 12, 2016
Last Updated on March 13, 2016
Tags: politics, India

Author

youthforfreedom
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Delhi, Delhi, India



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