इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना,A Poem by youthforfreedomमेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना, इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना, कभी भू™ जाऊं किसी दर की स™ामी, तोह मुझे काफ़िर बयां मत करना, -ुजरते काफि™ों में -™ी की मज™िसों में मि™ूं हिन्द के नारे ™ा-ाता, तोह रं- से जोड़ मुझे खुद से जुदा न करना, मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस इतना ही कर्म करना, कभी मर जाऊं अ-र धमाकों मैं, हो जाये शिनाख्त दुश्वार मेरी, ना ज™ाना मुझे ना दफनाना ही , सड जाने देना ™ाश मेरी, बस इतना रहम कर देना बच न पाये हिन्द का दुश्मन कोई, चाहे कोई पंथ हो कोई मजहब, हम सब हिन्द के फू™ हें, सब इसी धरा के ™ा™ हें, तुम रं- दिखा कर चमड़ी का एकदूजे से जुड़ा तुम मत करना, मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना, इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना, © 2016 youthforfreedom |
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