यूं तो नी™मणि पर सभी असुरों की नजर थी पर उनमें से सबसे ज्यादा शक्तिशा™ी "र चतुर असुर था मयासुर माया "र ने अब तक सभी असुरों के साथ हुए अन्याय "र उनके अंत से कुछ ना कुछ सबक जरूर ™िया था "र माया "र बाकियों की तरह वही -™ती दोबारा नहीं दोहराना चाहता था इसी™िए उसने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या करने की ठानी। माया सरनेम हिमा™य पर्वत पर जाकर अपनी कठिन तपस्या प्रारंभ की। माया "र की तपस्या को देखकर सभी देवता घबराने ™-े "र सभी पा™नहार विष्णु के पास अपनी समस्या का समाधान खोजने के ™िए पहुंच -ए भ-वान विष्णु ने सभी देवता"ं को देवी आदि शक्ति का आवाहन करने का सुझाव दिया तभी से सभी देवता देवी को प्रसन्न करने के ™िए यज्ञ करने ™-े देवी भी सभी देवता"ं की चिता"ं से अव-त थी परंतु उन्हें भी का™चक्र का सम्मान करना था कई वर्षों के देवता"ं के यज्ञ के बाद अंततः देवी प्रसन्न हुई "र उन्होंने देवता"ं को दर्शन दिए। सभी देवता देवी से करुण पुकार करते हुए कहने ™-े की "है ज- जननी आप ही सभी ऊर्जा"ं की स्रोत है आपसे ही सभी सभी जीव प्राण प्राण वायु प्राप्त करते हैं आपके बिना इस ब्रह्मांड का संचा™न संभव ही नहीं है हे देवी कृपया कर हमारी समस्या का समाधान करें "र इस ज-त को आने वा™े संकट से उबारने का उपाय सुझाए।" देवता"ं की इस करूं स्तुति से देवी अत्यंत प्रसन्न हुई "र देवता"ं से कहने ™-ी, ``हे देवों आप सब की समस्या से मैं अव-त हूं परंतु मैं किसी भी भक्त की भक्ति में बाधा नहीं बन सकती, मैं जानती हूं कि आप सब माया "र की तपस्या से अत्यंत चिंतित है परंतु अभी वह केव™ भक्त है जो अपने आराध्य को प्रसन्न करने के ™िए उनके दर्शन के ™िए उनकी भक्ति कर रहा है ऐसे में देवता"ं का एक भक्त की भक्ति में बाधा डा™ना धर्मोचित नहीं हो-ा।'' तब देवता"ं ने माता से कहा की`` है ज- जननी आप भी जानती हैं कि यह असुर बिना किसी ™ाभ के किसी देव की तपस्या नहीं करते जब से देवता"ं ने अमृत पान किया है तभी से इन असुरों में प्रतिशोध की भावना प्रब™ हो चुकी है तथा इस समय सभी असुर नी™मणि पर अपना ध्यान साधे हुए हैं क्योंकि इस समय केव™ नी™मणि ही है जिसका कोई स्वामी नहीं है इसी™िए है देवी कृपया कर कोई ऐसा मार्- सुझाए जिससे भविष्य में यदि यह दानव नी™मणि प्राप्त करने की चेष्टा करें तो हम देवता नी™मणि की उन असुरों से रक्षा कर सके।"