जय भैरवनाथ

जय भैरवनाथ

A Poem by saksham
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Song of lord Bhairav nath a Hindu dev

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जय भैरवनाथ


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दीनों की �™ाज रखखो, बाबा जटाधारी,
बरसो दुआ मैं ऐसे मेरे भंडारी,
जितने भी आयें यहाँ पर जाएं ना खा�™ी,
मि�™कर बजादें भक्तों हम सब ता�™ी,
बो�™ो बाबा शमशानी तेरे भक्तों ने ठानी।

भो�™ा सा मुख है तेरा भो�™े सी काया,
त्रिशू�™ खडा है तेरा ढमरू भी आया,
न�-रो को छोड तुमने शमशान बसाया,
बाबा मेरे मन को तुमने अपना घर बनाया,

मि�™कर बजादें भक्तों हम सब ता�™ी,
बो�™ो बाबा शमशानी तेरे भक्तों ने ठानी। (2)

जितना सा�-र में ज�™ है उतना दया�™ु,
नी�™ा जितना अंबर है उतना कृपा�™ु,
मां�-ू में तुझसे मेरी क्या मजा�™ है,
झुक जाए थोडा जो वही मा�™ामा�™ है,

मि�™कर बजादें भक्तों हम सब ता�™ी,
बो�™ो बाबा शमशानी तेरे भक्तों ने ठानी।

काशी कोतवा�™ी संभा�™ी, कोतवा�™ कह�™ाए,
खुद की ही छाया भो�™े आपको दि�™ाए,
शिव की भक्ति पाकर भैरव कह�™ाए,
मदिरा का भो�- �™िया, पान भी खाँए ।

मि�™कर बजादें भक्तों हम सब ता�™ी,
बो�™ो बाबा शमशानी तेरे भक्तों ने ठानी।


© 2015 saksham


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106 Views
Added on September 22, 2015
Last Updated on September 22, 2015

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saksham
saksham

agra, uttar pradesh, India



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